हींडो
कामणगारी रमै तीजण्यां, मौसम मन भरमावै।
हींड़ै पर चढञ दो दो जणियां, गोडी दे मचकावै।।
जोर कमर गोडां को, नभ में हींडै की ऊंचाई।
सावम राचै आय गुवाडां, माचै लोग-लुगाई।।
लैर्यो उडै चुनड़ कै सागै, हंसै लुगायां गाती।
गूंजै गीत फुहारां बरसै, वाह भई शेखावाटी।।
अल्हड़ गौरी जोर करै, जद झूलो लचका झेलै।
झुमको जूल तागड़ी हंसती, साथ कमर कै खेलै।।
चुहल करै खिल कटिया गारी, मोवै कामण गार्यां।
मन कै पार उतर ज्यावै, मीठी-मीठी किलकार्यां।।
सरो उडिकै खड़ी डावड्यां, हींडण नै ललचाती।
गोडी देतां पल्लो मुख में, वाह भई शेखावाटी।।
उबकली मचकाय मिजाजण, झूलै नै झकझोर।
पलक झपकतां नापै गजबण, आकासां को छोर।।
बांथां बांथ मिलै दोनूं, जद लोक लाज छुट ज्यावै।।
होड़ करै हींडो गौरी सै, कुणपैली आगै जावै।।
पल्लो उड़ पड़ ज्याय दिखाई, भेद छिपायां नाभी।
मरयादा ऊपर नीचै की, वाह भई शेखावाटी।।
फरराटा मद मस्त हवा का, आंचल नै उलझावै।
कोई कमसिन बाला नै, ज्यूं आवारा बहकावै।।
मिल कांधो-गर्दन गौरी की, उड़ती चुनड़ी जकड़ै।
हाथां सै लाचार, हींडती पल्लो मुहं सै पकड़ै।।
काची काची गंध देह की, महंदी मधुर सुहाती।
बड़ा भाग जुल्मी झूलै का, वाह भई शेखावाटी