शनिवार, 31 अगस्त 2019

तीन बुरी खबरों ने देश को हिला दिया...?

तीन बुरी खबरों ने देश को हिला दिया...?

{1} _12000 करोड़ की रेमण्ड कम्पनी का मालिक आज बेटे की बेरुखी के कारण किराये के घर में रह रहा है।_

{2} _अरबपति महिला मुम्बई के पॉश इलाके के अपने करोड़ो के फ्लैट में पूरी तरह गल कर कंकाल बन गयी! विदेश में बहुत बड़ी नौकरी करने वाले करोड़पति बेटे को पता ही नहीं माँ कब मर गयी।_

{3} _सपने सच कर आई. ए. एस. का पद पाये बक्सर के क्लेक्टर ने तनाव के कारण आत्महत्या की।_

ये तीन घटनायें बताती हैं जीवन में पद पैसा प्रतिष्ठा ये सब कुछ काम का नहीं। यदि आपके जीवन में खुशी संतुष्टी और अपने नहीं हैं तो कुछ भी मायने नहीं रखता।

वरना एक क्लेक्टर को क्या जरुरत थी जो उसे आत्महत्या करना पड़ा।

खुशियाँ पैसो से नहीं मिलती अपनों से मिलती है।_
क्योकि सीता जब राम के
पास थी तो उसे सोने का
हिरण चाहिए था मगर वही सीता जब सोने के
लंका मे  गयी  तो
उन्हे राम चाहिए था
इसलिए पैसा तो होता है
पर सब कुछ नही होता
पैसा बहुत कुछ है, लेकिन सब कुछ नही है।

जीवन आनन्द के लिए है, चाहे जो हों बस मुस्कुराते रहो...?_

_यदि आप चिंतित हो, तो खुद को थोड़ा आराम दों कुछ आइसक्रीम, चॉकलेट, केक लो_

ये अंग्रेजी वर्ण हमें सिखाते हैं :-

A B C....?
Avoid Boring Company​
_​मायूस संगत से दूरी​_

_D E F...?_
Dont Entertain Fools​
_​मूर्खो पर समय व्यर्थ मत करों_

_G H I...?_
Go For High Ideas​
_​ऊँचे विचार रखो​_

_J K L M...?_
Just Keep A Friend Like Me​
_​मेरे जैसा मित्र रखों_

_N O P...?_
Never Overlook The Poor n Suffering​
_​गरीब व पीड़ित को कभी अनदेखा मत करों_

_Q R S...?_
Quit Reacting To Silly Tales​_
_​मूर्खो को प्रतिक्रिया मत दो​_

_T U V...?_
Tune Urself For Ur Victory​
_​खुद की जीत सुनिश्चित करों_

_W X Y Z...?_
We Xpect You To Zoom Ahead In Life​
_​हम आपसे जीवन मे आगे देखने की आशा करते हैं_

यदि आपने चाँद को देखा, तो आपने ईश्वर की सुन्दरता देखी!

यदि आपने सूर्य को देखा, तो आपने ईश्वर का बल देखा!

और यदि आपने आईना देखा तो आपने ईश्वर की सबसे सुंदर रचना देखी!

इसलिए स्वयं पर विश्वास रखो.

जीवन में हमारा उद्देश्य होना चाहिए :-

​9, 8, 7, 6, 5, 4, 3, 2, 1, 0​

_9 - गिलास पानी_
_8 - घण्टे नींद_
_7 - यात्रायें परिवार के साथ_
_6 - अंकों की आय_
_5 - दिन हफ्ते में काम_
_4 - चक्का वाहन_
_3 - बेडरूम वाला फ्लैट_
_2 - अच्छे बच्चें_
_1 - जीवन साथी_
_0 - चिन्ता...?_

ये सिर्फ Message नहीं एक सीख है।

जय नारायण विश्वविद्यालय जोधपुर मे राजपुत अध्यक्ष

जय नारायण विश्वविद्यालय जोधपुर मे राजपुत अध्यक्ष
1989- जालम सिंह रावलोत
1990- कुलदीप सिंह राठौड़
1992- गजेन्द सिंह शेखावत
1993- शिवराज सिंह राठौड़
1995- बाबुसिह राठौड़
1998- गजेन्द सिंह राठौड़
2001- जितेन्द्र सिंह राठौड़
2002- ईश्वर सिंह बालावत
(बीच मै 6 साल चुनाव नही हुए)
2011- प्रदीप सिंह राठौड़
2012- रविन्द्र सिंह राणावत
2014- स्व भोम सिंह राठौड़
2015- आनद सिंह राठौड़
2016- कुनाल सिंह भाटी
2019- रविन्द्र सिंह भाटी
(25 साल मै   14 राजपुत अध्यक्ष)

शुक्रवार, 30 अगस्त 2019

हाथी मरो अंकुश नी माने, राजा मरो ना परजाहित।

हाथी मरो अंकुश नी माने, राजा मरो ना परजाहित।
पुत्र मरो वचन नी माने,कुल लजावन मरो कपूत ।।
मरो तुरंग लगाम नी माने, मूझै बैहणौ ऊंट मरो।।
दौजो मरो दे नी दूआ , माटौ खौटौ बलद मरौ।।
स्त्री मरौ कुलक्षणै आंगे, औरत हेरे सो मरौ अतिथि।‌
आप स्वार्थी मरो आदमी ,सत छौड़ै सो मरो सती।।
भणिया बिन ब्रहामण मरो जंतर मंत्र बिन मरो जति।।
दया धर्म बिन मरौ बाणियौ रण भागै सो मरो राजपूत।
ठायै बिन ठाकुर मरो दाय पड़ै जद दैसी दान।।
वैताल कहै सुनो नर विक्रम इतरा नर जीवैं सो ही मुवै रै समान।।

बुधवार, 28 अगस्त 2019

घी भादवे का घी

*"भादवे का घी"*
भाद्रपद मास आते आते घास पक जाती है।
जिसे हम घास कहते हैं, *वह वास्तव में अत्यंत दुर्लभ #औषधियाँ हैं।*
इनमें धामन जो कि गायों को अति प्रिय होता है, खेतों और मार्गों के किनारे उगा हुआ साफ सुथरा, ताकतवर चारा होता है।
सेवण एक और घास है जो गुच्छों के रूप में होता है। इसी प्रकार गंठिया भी एक ठोस खड़ है। मुरट, भूरट,बेकर, कण्टी, ग्रामणा, मखणी, कूरी, झेर्णीया,सनावड़ी, चिड़की का खेत, हाडे का खेत, लम्प, आदि वनस्पतियां इन दिनों पक कर लहलहाने लगती हैं।
यदि समय पर वर्षा हुई है तो पड़त भूमि पर रोहिणी नक्षत्र की तप्त से संतृप्त उर्वरकों से ये घास ऐसे बढ़ती है मानो कोई विस्फोट हो रहा है।
इनमें *विचरण करती गायें, पूंछ हिलाकर चरती रहती हैं।* उनके सहारे सहारे सफेद बगुले भी इतराते हुए चलते हैं। यह बड़ा ही स्वर्गिक दृश्य होता है।
इन जड़ी बूटियों पर जब दो शुक्ल पक्ष गुजर जाते हैं तो चंद्रमा का अमृत इनमें समा जाता है। आश्चर्यजनक रूप से इनकी गुणवत्ता बहुत बढ़ जाती है।
*कम से कम 5 km चलकर, घूमते हुए गायें इन्हें चरकर, शाम को आकर बैठ जाती है।*
रात भर जुगाली करती हैं।
*अमृत रस को अपने दुग्ध में परिवर्तित करती हैं।*
यह दूध भी अत्यंत गुणकारी होता है।
इससे बने दही को जब मथा जाता है तो पीलापन लिए नवनीत निकलता है।
5से 7 दिनों में एकत्र मक्खन को गर्म करके, घी बनाया जाता है।
इसे ही *#भादवे_का_घी कहते हैं।*
इसमें अतिशय पीलापन होता है। ढक्कन खोलते ही 100 मीटर दूर तक इसकी मादक सुगन्ध हवा में तैरने लगती है।
बस,,,, मरे हुए को जिंदा करने के अतिरिक्त, यह सब कुछ कर सकता है।
ज्यादा है तो खा लो, कम है तो नाक में चुपड़ लो। हाथों में लगा है तो चेहरे पर मल दो। बालों में लगा लो।
*दूध में डालकर पी जाओ।सब्जी या चूरमे के साथ जीम लो।*
बुजुर्ग है तो घुटनों और तलुओं पर मालिश कर लो।
इसमें अलग से कुछ भी नहीं मिलाना। सारी औषधियों का सर्वोत्तम सत्त्व तो आ गया!!
*इस घी से हवन, देवपूजन और श्राद्ध करने से अखिल पर्यावरण, देवता और पितर तृप्त हो जाते हैं।*
कभी सारे मारवाड़ में इस घी की धाक थी।
इसका सेवन करने वाली विश्नोई *महिला 5 वर्ष के उग्र सांड की पिछली टांग पकड़ लेती और वह चूं भी नहीं कर पाता था।*
मेरे प्रत्यक्ष की घटना में एक व्यक्ति ने एक रुपये के सिक्के को मात्र उँगुली और अंगूठे से मोड़कर दोहरा कर दिया था!!
आधुनिक विज्ञान तो घी को #वसा के रूप में परिभाषित करता है। उसे भैंस का घी भी वैसा ही नजर आता है। वनस्पति घी, डालडा और चर्बी में भी अंतर नहीं पता उसे।
लेकिन पारखी लोग तो यह तक पता कर देते थे कि यह फलां गाय का घी है!!
यही वह घी था जिसके कारण
कुंवारे रात भर कबड्डी खेलते रहते थे!!
इसमें # *स्वर्ण की मात्रा इतनी रहती थी, जिससे सर कटने पर भी धड़ लड़ते रहते थे*!!

बाड़मेर जिले के #गूंगा गांव में घी की मंडी थी। वहाँ सारे मरुस्थल का अतिरिक्त घी बिकने आता था जिसके परिवहन का कार्य *बाळदिये भाट करते थे। वे अपने करपृष्ठ पर एक बूंद घी लगा कर सूंघ कर उसका परीक्षण कर दिया करते थे।*
इसे घड़ों में या घोड़े के चर्म से बने विशाल मर्तबानों में इकट्ठा किया जाता था जिन्हें "दबी" कहते थे।
घी की गुणवत्ता तब और बढ़ जाती, *यदि गाय पैदल चलते हुए स्वयं गौचर में चरती थी, तालाब का पानी पीती,* जिसमें प्रचुर विटामिन डी होता है और मिट्टी के बर्तनों में बिलौना किया जाता हो।
वही गायें, वही भादवा और वही घास,,,, आज भी है। इस महान रहस्य को जानते हुए भी यदि यह व्यवस्था भंग हो गई तो किसे दोष दें?

जो इस अमृत का उपभोग कर रहे हैं वे निश्चय ही भाग्यशाली हैं। यदि घी शुद्ध है तो जिस किसी भी भाव से मिले, अवश्य ले लें।
*यदि भादवे का घी नहीं मिले तो गौमूत्र सेवन करें। वह भी गुणकारी है।*
निवेदक - सूर्यदीप
गौसंवर्धन व गौसंरक्षक

रविवार, 25 अगस्त 2019

गोगा नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।।

गोगा नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।।

प्रस्तुत दूहो में राणी सरियल ,गोगाजी व माता बाछल के संवादों को चित्रित करने का प्रयास किया है।सो अवलोकनार्थ प्रस्तुत है सा🙏🏻🙏🏻
          @अजयसिंह राठौड़
           
गोगा मेड़ी गोरवै,करता भगत पुकार।
नीला घोड़ा नोलखा ,आया नह असवार।।1।।

गोगा थारै गोरवै, भगतां री भरमार।
सांपा रा सिरताज थै, आया नह असवार।।2।।

सरियल बैठी सासरै,करती करुण पुकार।
बोलै सासू बोलडा, आयो नह असवार।।3।।

कोप मात रै कारणै, छोड़ी थै मझदार।
प्रीत निभावण प्रेम सूं, आयो नह असवार।।4।।

सरियल सूती सेज पे,सोलह कर सिणगार।
रोवै झुर झुर रात नै, आयो नह असवार।।5।।

गोगो आवै रात गो,सरियल लेवण सार।
मौको देखे मावडी,आवै कद असवार।।6।।

बैठी छुपनै मावडी,ले सरियल री लार।
रात सारी बिसारनै, आयो जद असवार।।7।।

बोली फिर यूँ मावडी,वचन दिया तुं बिसार।
ओजूं फेर न आवणो,इण पोळी असवार।।8।।

गोगो चालै गांव सूं, रिसां होय सिरदार।
आयौ मेड़ी गोरवै,हो घोड़े असवार।।9।।

धरणी करी अराधना, देदे मात दरार।
गोग समायो गोद में,संग घोड़े असवार।।10।।

🙏🏻🌹

बुधवार, 21 अगस्त 2019

मन हार हियो मत हार, थारी अब पारख होसी रे।

मन हार हियो मत हार, थारी अब पारख होसी रे।
रख आँख्या में थोड़ो खार, थारी अब पारख होसी रे।।

खातो हबोलो, सागर अडोलो, रुख किनारा का सुख्या।
रहग्यो एक भोलो उड़ग्यो हो टोलौ टूटी पंखीडे री पाँख्याँ
साथीडाँ लड्यो भार-थारी अब पारख होसी रे।।1।।

लूवाँ रा लपका,आँधी रा झपका,उनाला कितराई बित्या।
आँसुडा टपका ,हिवड़ै ने बरसा,छोटा थका ने सींच्या।।
बै भूल गया उपकार-थारी अब पारख होसी रे।।2।।

साथीडा थारा,मतलब रा प्यारा,पिगया इमरत रा प्याला।
बिखरया मेला में,बिखमी बेला में,लाया जहर रा प्याला।
ले हिवड़ा तू मनवार-थारी अब पारख होसी रे।।3।।

राज गयो थारो,धर्म गयो थारो,लोग थारी लिछमी ले भाग्या।
संपत रो भारो टुट्यो है थारो,महलाँ में दुसमण आग्या।।
बै खावै थाँ पर खार-थारी अब पारख होसी रे।।4।।

तन मन दियो हो,सब कुछ दियो हो,वचनाँ सूँ सैण बण्या म्हे।
राता बै बितगी,बाताँ बिसरगी,रुस्याँ नै याद किया म्हे।।
पण रुठ गयो करतार-थारी अब पारख होसी रे।।5।।

ऐ कुण है आया,जामण रा जाया,जूग जूग रा मेला भरै है।
अबके जो पाया बिछुड मत ना जाया,विधना रा आँक भरे है।।
लै साँभ थारी पतवार-थारी अब पारख होसी रे।।6।।