शुक्रवार, 30 अगस्त 2019

हाथी मरो अंकुश नी माने, राजा मरो ना परजाहित।

हाथी मरो अंकुश नी माने, राजा मरो ना परजाहित।
पुत्र मरो वचन नी माने,कुल लजावन मरो कपूत ।।
मरो तुरंग लगाम नी माने, मूझै बैहणौ ऊंट मरो।।
दौजो मरो दे नी दूआ , माटौ खौटौ बलद मरौ।।
स्त्री मरौ कुलक्षणै आंगे, औरत हेरे सो मरौ अतिथि।‌
आप स्वार्थी मरो आदमी ,सत छौड़ै सो मरो सती।।
भणिया बिन ब्रहामण मरो जंतर मंत्र बिन मरो जति।।
दया धर्म बिन मरौ बाणियौ रण भागै सो मरो राजपूत।
ठायै बिन ठाकुर मरो दाय पड़ै जद दैसी दान।।
वैताल कहै सुनो नर विक्रम इतरा नर जीवैं सो ही मुवै रै समान।।

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