रविवार, 9 अगस्त 2015

हजन का पेड़ भारत वर्ष में बहुतायत से पाया जाता है | इसके लिए ज्यादा ठण्ड नुकसान दायक है गर्मी कितनी भी हो झेल लेता है | बहुत दिनों से सोच रहा था इस पेड़ के बारे में लिखने के लिए लेकिन किसी न किसी कारण से ये पोस्ट लिखने का कायक्रम आगे खिसकता रहा |

सहजन का पेड़ फूल और फली के साथ

     सहजन का अंग्रेजी नाम ड्रमस्टिक,संस्कृत नाम सोभांजना, आयुर्वेद में मोक्षकाद्व और वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलीफेरा (moringa oleifera ) है | सहजन के बारे में काफी वैज्ञानिक खोजे हुई है | और बहुत से परिणाम भी निकाले गए है |
सहजन के बारे में कुछ निम्न तथ्य है :-

  • फिलीपीन्स, मैक्सिको, श्रीलंका, मलेशिया आदि देशों में भी सहजन की काफ़ी माँग है।
  • दक्षिण भारतीय लोग इसके फूल, पत्ती का उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में साल भर करते हैं।
  • इस पौधे के सभी भागों का उपयोग विभिन्न कार्यों में किया जाता है।
  • सहजन के बीज से तेल निकाला जाता है और छाल पत्ती, गोंद, जड़ आदि से आयुर्वेदिक दवाएं तैयार की जाती हैं।
  • इसमें दूध की तुलना में ४ गुना कैल्शियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।
  • सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।  
     ये तो थी तथ्यों की बात अब मै बताता हूँ इसका देशी स्टाइल में फायदा | मेरे घर में पांच छ साल से से इसका पेड़ है | इसका पेड़ लगाना बहुत ही आसान है | इसका पेड़ इतना आसानी से लग जाता है की आप को यकीन नहीं होगा की जिस झोपडी के बीम में इसकी लकड़ी का उपयोग किया जाता हो उसमे भी बगैर मिट्टी के ही पत्तियां फूट नि्कलती है | और यहां तक की एक पेड़ को मैंने एक जगह से दूसरी जगह स्थनांतरित भी किया था जिसका तना तकरीबन दो फुट परीधी का था और वजन लगभग आधा टन था | और उस तने को स्थान ना मिलने की वजह से तीन महीने तक धुप में बगैर पानी और मिट्टी के जमीन पर चित पडा रहा था | उस पर एक भी पत्ती नहीं थी | उस तने को जब तीन महीने बाद खड़ा कर मिट्टी में दबाया गया और पानी दिया तो उसमे भी अंकुरण हुआ और पेड़ फिर तैयार हो गया जिसे आप तस्वीर में देख सकते है |
हमारे घर मे सहजन का वो पेड़ जो स्थनांतरित किया हुआ है 

     अगर आपको मई के महीने में धूप से बचाव हेतु पेड़ चाहिए तो आप जनवरी में इसकी एक शाख जो तकरीबन दस फुट बड़ी हो का वृक्षारोपण कर सकते है तो ये तैयार होकर मई के महीने चारपाई डालकर सोने हेतु छाया दे देगी |कहने का अर्थ ये है की ये बहुत जल्दी विकास करता है |

     इसके फूलो की सब्जी मुझे बहुत पसंद है ,थोड़ा मेहनत वाला काम जरूर है लेकिन स्वाद एक बार जिसे लग जाए वो इसको जिन्दगी भर नहीं भूल सकता है | सब्जी बनाने की विधी -:
इसके फूलों को जो खिले ना हो उनको तोड़ लीजिए कडाही में तेल गर्म कीजिए उसमे प्याज अदरक लहसुन हरी मिर्च आदि भून लीजिये | उसमे सब्जी का मसाला यथा लाल मिर्च धनिया पाउडर हलदी,नमक आदि पानी के साथ मिक्स करके डाल देवे | जब मसाला पक जाए तब उसमे सहजन के फूल(कलियाँ) डाल देवे थोड़ा पानी और मिला देवे जो की पकने पर जल जाता है,अगर आप चाहे तो इसमें टमाटर भी डाल सकते है या फिर पकने के बाद थोड़ा टमाटर सॉस भी मिलाया जा सकता है | तीन मिनट बाद सब्जी को तैयार होने के बाद चूल्हे से उतार लेवे | आपकी लाजवाब सब्जी तैयार है | ये सब्जी जितनी स्वादिष्ट होती है उतनी ही गुणकारी भी होती है | इस सब्जी को बदहजमी वाले,मधुमेह वाले ,ह्रदय रोग के मरीज भी आराम से खा सकते है | इसकी फली की सब्जी भी इसी प्रकार से बनती है अंतर केवल इतना है की फली की सब्जी में पानी की मात्रा ज्यादा रखते है जिससे चावल के साथ भी खाया जा सकता है |
इन फूलों और  कलियों को सब्जी हेतु तोड़ा गया है 

     इसके फूल, फली व पत्तों में इतने पोषक तत्त्व हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के मार्गदर्शन में दक्षिण अफ्रीका के कई देशों में कुपोषण पीडित लोगों के आहार के रूप में सहजन का प्रयोग करने की सलाह दी गई है। एक से तीन साल के बच्चों और गर्भवती व प्रसूता महिलाओं व वृद्धों के शारीरिक पोषण के लिए यह वरदान माना गया है। हमारे यंहा भी कैन्सर व पेट आदि शरीर के आभ्यान्तर में उत्पन्न गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। यह भी पाया गया है कि यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द), जोड़ो में दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी आदि में लाभकारी है। जोड़ो का दर्द वायु विकार के कारण होता है | और सहजन वायु नाशक माना जाता है|सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है। आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से विषाणु जनित रोग चेचक के होने का खतरा टल जाता है।

     अब आते है पानी साफ़ करने वाली बात पर | इस से पहले भी पानी के शुद्धीकरण के लिए मैंने एक पोस्ट लिखी थी | पानी के शुद्धीकरण के लिए ये उपाय भी आप आजमा सकते है | माइक्रोबायलोजी के करेंट प्रोटोकॉल में कम लागत में पानी को साफ करने की तकनीक प्रकाशित की गई है। यह तकनीक आसान और सस्ती है। इस तकनीक की मदद से विकासशील देशों में जल जनित रोगों से बड़े पैमाने पर होने वाली मौत की घटनाओं पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है। इस तकनीक में पानी को साफ करने के लिए सहजन के बीज का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया के द्वारा पानी को 90.00 फीसदी से 99.99 फीसदी तक बैक्टीरिया रहित किया जा सकता है।

     सहजन दो प्रकार का पाया जाता है एक मीठा दूसरा कड़वा मीठे सहजन का ही उपयोग किया जाता है कडवे का उपयोग नहीं करते है | इस के बारे में कुछ और जानकारी चाहिए तो आप मुझे टिप्पणी द्वारा बताये या सीधे ही मेल करे |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें