जद मेह अंधेरी राता मे टुटेडी ढाण्या चुती हि।
तो मारु रा रंग-मेहला मे दारु रि जाजम ढलती ही।
तो मारु रा रंग-मेहला मे दारु रि जाजम ढलती ही।
जद बा उनाला कि लुवा मे करसे री काया जलति हि,
तो छेल-भँवर रे चौबारे चौपङ रि जाजम ढलति हि।
तो छेल-भँवर रे चौबारे चौपङ रि जाजम ढलति हि।
पण करसे रि रक्षा खातर,
पण करसे रि रक्षा खातर,
सिस तलवार पर तोलणो पङतो।
पण करसे रि रक्षा खातर,
सिस तलवार पर तोलणो पङतो।
धरती तने बोलनो पङतो।
धरती तने बोलनो पङतो।
धरती तने बोलनो पङतो।
बा राजस्थानी भाषा है ।।
जद-जद भारत मे था सता-जोग, आफत रि आँन्धी आयी हि,
बक्तर रि कङिया बङकि हि जद, सिन्धु राग सुनायी हि ।।
गङ गङिया तोपा रा गोला, भाला रि अणिया भलकि हि।
जोधा री धारा रक्ता ही, धारा रातम्बर रळकी ही ।
अङवङता घोङा उलहङता, रङवङता माथा रण खेता ।
सिर कटिया सुरा समहर मे, ढाला-तलवारा ले ढलता ।
रणबँका राठौङ भिङे, कि देखे भाल तमाशा है ।
उण बकत हुवे ललकार अठे, बा राजस्थानी भाषा है ।।
बक्तर रि कङिया बङकि हि जद, सिन्धु राग सुनायी हि ।।
गङ गङिया तोपा रा गोला, भाला रि अणिया भलकि हि।
जोधा री धारा रक्ता ही, धारा रातम्बर रळकी ही ।
अङवङता घोङा उलहङता, रङवङता माथा रण खेता ।
सिर कटिया सुरा समहर मे, ढाला-तलवारा ले ढलता ।
रणबँका राठौङ भिङे, कि देखे भाल तमाशा है ।
उण बकत हुवे ललकार अठे, बा राजस्थानी भाषा है ।।
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