हरवळ भालां हाँकिया ,पिसण फिफ्फरा फौड़ ।
विडद जिणारौ वरणियौ, रण बंका राठौड़ ॥
किरची किरची किरकिया, ठौड़ ठौड़ रण ठौड़ !
मरुकण बण चावळ मरद, रण रचिया राठौड़ ॥
पतसाहाँ दळ पाधरा, मुरधर धर का मौड़।
फणधर जेम फुंकारिया, रण बंका राठौड़ ॥
सिर झड़ियां जुडिया समर, धूमै रण चढ़ घौड़ !
जोधा कमधज जाणिया, रण बंका राठौड़ ॥
सातां पुरखाँ री सदा, ठावी रहै न ठौड़ !
साहाँ रा मन संकिया, रण संकै राठौड़ ॥
हाको सुण हरखावणो, आरण आप अरौड़ !
रण परवाड़ा रावळा, रण बंका राठौड़ ॥
विडद जिणारौ वरणियौ, रण बंका राठौड़ ॥
किरची किरची किरकिया, ठौड़ ठौड़ रण ठौड़ !
मरुकण बण चावळ मरद, रण रचिया राठौड़ ॥
पतसाहाँ दळ पाधरा, मुरधर धर का मौड़।
फणधर जेम फुंकारिया, रण बंका राठौड़ ॥
सिर झड़ियां जुडिया समर, धूमै रण चढ़ घौड़ !
जोधा कमधज जाणिया, रण बंका राठौड़ ॥
सातां पुरखाँ री सदा, ठावी रहै न ठौड़ !
साहाँ रा मन संकिया, रण संकै राठौड़ ॥
हाको सुण हरखावणो, आरण आप अरौड़ !
रण परवाड़ा रावळा, रण बंका राठौड़ ॥
-गंगासिंह भायल मूठली ।
सूर्य चमकता रजपुतो का,
सूर्य चमकता रजपुतो का, घनघोर बदरिया डरती थी !
था शेर गरजता सीमाओ पर, बिजली भी आहे भरती थी !!
है खून वही उन नब्जों मे, फिर क्यो वर्षो से सोते हो !
लूटा है चंद सियारो ने, फिर क्यो इन्हे मौका देते हो !!
अब चीर दो सीना काफिर के, तलवार वही पुरानी है !
रक्षक हो तुम इस भारत के, ललकार रही भवानी है !!
था शेर गरजता सीमाओ पर, बिजली भी आहे भरती थी !!
है खून वही उन नब्जों मे, फिर क्यो वर्षो से सोते हो !
लूटा है चंद सियारो ने, फिर क्यो इन्हे मौका देते हो !!
अब चीर दो सीना काफिर के, तलवार वही पुरानी है !
रक्षक हो तुम इस भारत के, ललकार रही भवानी है !!
-गंगासिंह भायल मूठली ।
नावं सुण्या सुख उपजै !
नावं सुण्या सुख उपजै हिवड़े हरख अपार ।
इस्यो मरुधर देश में घणी करे मनवार ।।
मरुधर सावण सोवणो बरस मुसलधार ।
मरवण ऊबी खेत में गावे राग मल्हार||
सोनल वरणा धोरिया मीसरी मघरा बैर ।
बाजरी की सौरभ गमकै ले - ले मरुधर ल्हैर ।।
पल में निकले तावड़ो पल में ठंडी छांह ।
इस्या मरुधर देश में खेजड़ल्या री छांह ।।
मरुधर साँझ सुहावणी बाजै झीणी बाळ ।
बालक घैरै बाछडिया गायां लार गुवाल ।।
रिमझिम बरसे भादवो छतरी ताने मौर ।
मरुधर म्हारो सोवणों सगला रो सिरमौर ।।
झुमै फाग में गूंजे राग धमाल ।
घूमर घालै गोरड्या उड़े रंग गुलाल ।।
देसी राजपूत की देसी सोच ।
इस्यो मरुधर देश में घणी करे मनवार ।।
मरुधर सावण सोवणो बरस मुसलधार ।
मरवण ऊबी खेत में गावे राग मल्हार||
सोनल वरणा धोरिया मीसरी मघरा बैर ।
बाजरी की सौरभ गमकै ले - ले मरुधर ल्हैर ।।
पल में निकले तावड़ो पल में ठंडी छांह ।
इस्या मरुधर देश में खेजड़ल्या री छांह ।।
मरुधर साँझ सुहावणी बाजै झीणी बाळ ।
बालक घैरै बाछडिया गायां लार गुवाल ।।
रिमझिम बरसे भादवो छतरी ताने मौर ।
मरुधर म्हारो सोवणों सगला रो सिरमौर ।।
झुमै फाग में गूंजे राग धमाल ।
घूमर घालै गोरड्या उड़े रंग गुलाल ।।
देसी राजपूत की देसी सोच ।
-गंगासिंह भायल मूठली ।
गढ़ चितौड़
गढ़ चितौड़ गढ़ जालोर गढ़ कुंभलमेर ।
जैसलदे चणायो भाटीयों जग मे जैसलमेर ॥
गढ़ तणोट गढ़ मांडव गढ़ सांगानेर ।
महारावल चणायों भाटीयों भल गढ़ जैसलमेर ॥
गढ़ विजणोट गढ़ अर्बद देखो गढ़ अजमेर !
सोने रुपे झगमगे जग मे गढ़ जैसलमेर ॥
गढ़ बुंदी गढ़ मंडोवर महा गढ़ आमेर ।
मरुधरा गुणवंत गढ़ जैसलमेर ॥
गढ़ महेरान गढ़ नागोर खेड़गढ़ बाड़मेर ।
माड़ धरा महीपति जहाँ गढ़ जैसलमेर ॥
जैसलदे चणायो भाटीयों जग मे जैसलमेर ॥
गढ़ तणोट गढ़ मांडव गढ़ सांगानेर ।
महारावल चणायों भाटीयों भल गढ़ जैसलमेर ॥
गढ़ विजणोट गढ़ अर्बद देखो गढ़ अजमेर !
सोने रुपे झगमगे जग मे गढ़ जैसलमेर ॥
गढ़ बुंदी गढ़ मंडोवर महा गढ़ आमेर ।
मरुधरा गुणवंत गढ़ जैसलमेर ॥
गढ़ महेरान गढ़ नागोर खेड़गढ़ बाड़मेर ।
माड़ धरा महीपति जहाँ गढ़ जैसलमेर ॥
-गंगासिंह भायल मूठली ।
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