मरुधर देश...
जल उंडा, थल उजला, नारी नवले वेश,
पुरुष पटघर निपजे, म्हारो मरुधर देश...
जहा पानी गहरा हो, जमीं सोने की तरह चमकदार हो,
जहा नारी का वेश सतरंगी हो और वहा का पुरुष बलवान और वीर हो ऐसा हमारा मरुधर देश हैं...
थाल बजता है सखी,दीठो नैण फुलाय !!
बाजा रे सिर चेतणो ,भूणां कणव सिखाय !!!
वीर धीर जठ जोगि निसरैं, निसरे काकङ बैरँ.......
सतियाँ रि साख भरे,म्हारो मरूधर सैरँ...
सोने री धरती जठै,चाँदी रो आसमान,
रंग रंगीलो रसभर्यो, म्हारो राजस्थान...
जल उंडा, थल उजला, नारी नवले वेश,
पुरुष पटघर निपजे, म्हारो मरुधर देश...
जहा पानी गहरा हो, जमीं सोने की तरह चमकदार हो,
जहा नारी का वेश सतरंगी हो और वहा का पुरुष बलवान और वीर हो ऐसा हमारा मरुधर देश हैं...
थाल बजता है सखी,दीठो नैण फुलाय !!
बाजा रे सिर चेतणो ,भूणां कणव सिखाय !!!
वीर धीर जठ जोगि निसरैं, निसरे काकङ बैरँ.......
सतियाँ रि साख भरे,म्हारो मरूधर सैरँ...
सोने री धरती जठै,चाँदी रो आसमान,
रंग रंगीलो रसभर्यो, म्हारो राजस्थान...
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